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Monday, August 15, 2011

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पिघले  नीलम सा बहता हुआ ये समान
नीली नीली सी खामोशियाँ
न कहीं है ज़मीन 
न कहीं आसमान
सरसराती हुयी  टहनियां  पत्तियाँ
कह रही हैं की बस एक तुम हो यहाँ 
सिर्फ मैं हूँ  मेरी सांसें  हैं और मेरी धडकनें
ऐसी गहराइयाँ 
ऐसी तनहाइयाँ
और मैं सिर्फ मैं
अपने होने   पर मुझको यकीन आ गया 

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