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Thursday, December 1, 2011

MANN KE MANJEERE

Was just listening to some old songs from the 90s... and Shubha Mudgal, as usual, stood out. That powerful beautiful voice, matched with those equally strong lyrics. This one is from a series of BreakThrough videos, which help spread awareness about various social issues. 


PS- Meeta Vashisht is a brilliant actor in my opinion.






मन के मंजीरे आज खनकने लगे
भूले थे चलना, कदम थिरकने लगे
अंग अंग बाजे मृदुंग सा, सुर मेरे जागे
सांस सांस में बांस बांस में,
धुन कोई  साजे
गाये रे, दिल ये गाने लगा है,
मुझको आने लगा है
खुद पे ही ऐतबार
खुद पे ही ऐतबार


बादल तक झूले मेरे पहुँचने लगे,
आँखों के आगे गगन सिमटने लगे,
डाल डाल पे, ताल ताल पे , छु के हवाएं
खेत खेत ने, रेत रेत ने, फैलादी बाहें
आये है, सिन्दूरी सुबाह आई,
घुलती जाए सियाही
रातों की रातों की


खोले जो दरवाज़े तो देखा हर शाई थी नयी
उजली उजली सी थी मेरी तन्हाई रे
बदली बदली सी बदली मेरे अंगना में थी छाई
वीरानी रानी बन के मेरे पास आई
अपनी नज़र से मैंने देखि दुनिया की रंगोली
मुझको बुलाने आई मौसम को टोली
खोली आँखों की खोली मैंने पायी अपनी बोली
मुझमे ही रहती थी मेरी हमजोली रे ..
सुन लो.. अब ना अकेली हूँ मैं,
अपनी सहेली हूँ मैं,
साथी हूँ अपनी मैं
साथी हूँ अपनी मैं


मन के मंजीरे आज खनकने लगे
भूले थे चलना, कदम थिरकने लगे
अंग अंग बाजे मृदुंग सा, सुर मेरे जागे
सांस सांस में बांस बांस में,
धुन कोई  साजे
गए रे, दिल ये गाने लगा है,
मुझको आने लगा है
खुद पे ही ऐतबार
खुद पे ही ऐतबार


बादल तक झूले मेरे पहुँचने लगे,
आँखों के आगे गगन सिमटने लगे,
दाल दाल पे, ताल ताल दे, छु के हवाएं
खेत खेत ने, रेत रेत ने, फैलादी बाहें
आये है, सिन्दूरी सुबाह आई,
घुलती जाए सियाही
रातों की रातों की
रातों की रातों की

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